Vayu Pradushan Karan evum Nivaran || Air Pollution Cause and Remedies

Vayu Pradushan Karan evum Nivaran || Air Pollution Cause and Remedies

By Dr. Manoj Rawat

दैनिक जीवन में प्रयोग किए जाने वाले जरूरी साधन वर्तमान समय में भारत में होने वाली तीव्र जनसंख्या बढ़ोत्तरी की वजह से समाप्त होते जा रहे हैं। परिणामस्वरूप जीवन òोत दिनप्रति लुप्त होते जा रहे हैं। धरती पर आवास की समस्या खड़ी हो गई है। विश्व की अधिकांश जनसंख्या ने नगरों में रहना प्रारम्भ कर दिया है। यह सब कुछ देखते हुए सहज रूप से अनुमान लगाया जा सकता है कि धरती के प्राकृतिक òोतों का क्या बनेगा। प्राकृतिक òोतों का शोषण स्वार्थी लोग कर रहे हैं या उन लोगों द्वारा हो रहा है जो गरीबी की रेखा से नीचे हैं वे अपनी मौलिक एवं भौतिक आवश्यकताओं की पूति हेतु इन संस्थानों का विनाश करने पर लगे हुए हैं। ऐसे लोगों की संख्या सबसे अधिक हैं। इनके अतिरिक्त समृद्धशाली लोग जो संख्या में कम है परन्तु हवस बड़ी है, वे हवस को पूरी करने के लिए और ज्यादा भोगने की इच्छा से वातावरण से खिलवाड़ कर रहे हैं। यह स्थिति बहुत आश्चर्यजनक और हास्यास्पद भी है क्योंकि जिस पर मनुष्य की सुख शांति और जीवन निर्भर करता है, वह उसी का बेरहमी से विनाश कर रहा है। मानव सभ्यता का लक्ष्य हमेशा से ही विकास रहा है। इस धरती पर जन्म लेने वाला हर मानव विकास की ओर अग्रसर होना चाहता है। इसीलिए उसने धरती पर उपलब्ध प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग भी करने लगा है। परन्तु यदि इन प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग बहुत तेजी से और बहुत अधिक होगा तो भविष्य में इनका समाप्त होने का खतरा बना रहेगा। यह भी सम्भव नहीं हो सकता कि इनका प्रयोग ही नहीं किया जाए। इसके लिए सन्तुलन बनाए रखना आवश्यक है और यह सन्तुलन तभी बना रह सकता है, जब इन संसाधनों का उपयोग इस ढंग से किया जाए इन संसाधनों के विकास और उपयोग में तालमेल बना रहे और प्रकृति का सन्तुलना भी न बिगड़ने पाए। बढ़ते हुए प्रदूषण को देखते हुए यह जरूरी हो गया है कि वातावरण की सुरक्षा की जाए। यहां वातावरण सुरक्षा से तात्पर्य वातावरण प्रबन्ध से है। प्रकृति ने हमें प्राकृतिक òोतों के रूप में जो अनुपम खजाना दिया है।

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